चेहरा- देवेन्द्र देव 0 Devendra-dev, diary, ghazal-poem 6:15:00 PM A+ A- Print Email एक चेहरा है जिस पे हम मर मिटे है ! वर्ना शमा के पास जा के तो परवाना भी जल उठता है !!
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