ये वक़्त, ये तन्हाई और ये दीवानापन, हमें कही खा न जाये हमारा ये आवारापन ! टूट गए है मोती हमारे ही हाथ से जिन्दगी के , कि अब सहन नहीं होती...
ग़ुरबत- देवेन्द्र देव
माथे पे पसीना लिए वो दो रोटी कमाता होगा ! इन दो रोटियों के लिए वो खुद को कितना सताता होगा !! तुम तो खेल लेते हो अपने खिलोनो से ! और वो मा...
मुजरिम- देवेन्द्र देव
हर वक़्त एक सा नहीं रहता ! दरख्त हमेशा हरा नहीं रहता !! हम भूल जाते है कि वो भी एक इंसा है ! बन जाता है वो, पर हर इंसा फितरत से बुरा नहीं...
अब्बा- देवेन्द्र देव
जब में गिरा तो संभाला उसने ! चला तो हाथो से संभाला उसने !! गम था उसे भी कही तो गहरा ! मगर में न रोऊ सो अपने अश्को को भी पोछ डाला उसने !!...
चंद लब्ज़- देवेन्द्र देव
अश्क है, दरिया है, दर्द भी है, मगर इन्हें बहाने का सबब भी चाहिए -------------------------------- वो भूल जाते है हर बात लेकिन, हमें नहीं ...
मोह्हबत- देवेन्द्र देव
मुझसे जो मोह्हबत करोगे तो क्या पाओगे ! कुछ यु अपना दिल तोड़ोगे की बिखर जाओगे !! हमने क्या पाया है अब तक वफ़ा करके ! तुम भी सिर्फ वफ़ा-ऐ-दर्...
सोहबत- देवेन्द्र देव
गुम यु टूटते वक़्त नहीं लगता ! अँधेरे में तीर मारू पर निशाना कमबख्त नहीं लगता !! राह पे था एक बीज रोपा ! पर वह एक दरखत नहीं लगता !! कहते...
चेहरा- देवेन्द्र देव
एक चेहरा है जिस पे हम मर मिटे है ! वर्ना शमा के पास जा के तो परवाना भी जल उठता है !!
बाज़ार- देवेन्द्र देव
दिल का कोई बाज़ार नहीं होता ! हर इंसा खुद्दार नहीं होता !! अब ढूंढे से भी आदिल मिले कहा से ! की ऐसा कौन सा दामन है जो दागदार नहीं होता !! ...