माथे पे पसीना लिए वो दो रोटी कमाता होगा !
इन दो रोटियों के लिए वो खुद को कितना सताता होगा !!
तुम तो खेल लेते हो अपने खिलोनो से !
और वो मासूम खुद को कितनी बार खिलौना बनाता होगा !!
सोच उठती भी है तो बस पेट भर निवाले के लिए !
क्या इसके सिवा उसे और कोई सपना आता होगा !!
होठ सूखे है, बदन ज्यादा है, कपडे कम है !
वो दो टुकडो में खुद को कितना छिपाता होगा !!
सिहर उठता है बदन अब इस सर्दी में !
और वो खुले बदन सारी रात जग जाता होगा !!
बच्चे है माँ-बाप को अपनी जान से ज्यादा !
पर कभी वो अपने बच्चो को बिन निवालों के कैसे सुलाता होगा !!
हुकूमत के कारिंदे आकर कई बात कह जाते है "मेंखान"!
और इन पर भरोसा करे सिवा इनके पास क्या रह जाता होगा !!
इन दो रोटियों के लिए वो खुद को कितना सताता होगा !!
तुम तो खेल लेते हो अपने खिलोनो से !
और वो मासूम खुद को कितनी बार खिलौना बनाता होगा !!
सोच उठती भी है तो बस पेट भर निवाले के लिए !
क्या इसके सिवा उसे और कोई सपना आता होगा !!
होठ सूखे है, बदन ज्यादा है, कपडे कम है !
वो दो टुकडो में खुद को कितना छिपाता होगा !!
सिहर उठता है बदन अब इस सर्दी में !
और वो खुले बदन सारी रात जग जाता होगा !!
बच्चे है माँ-बाप को अपनी जान से ज्यादा !
पर कभी वो अपने बच्चो को बिन निवालों के कैसे सुलाता होगा !!
हुकूमत के कारिंदे आकर कई बात कह जाते है "मेंखान"!
और इन पर भरोसा करे सिवा इनके पास क्या रह जाता होगा !!
bhai kya bat he,
ReplyDeleteyar itni achhi shayri likh lete ho
kabhi bataya hi nahi